poem

परंपरा का पक्ष

सूरज सिंह राजपूत,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   हाँ! मैं परंपरा हूँ। वही परंपरा, जिससे तुम कभी प…

हे अग्रसेन फिर आना होगा

मदन सुमित्रा सिंघल,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   हे अग्रवंश के लाल तुझे, फिर तलवार उठानी होगी प…

चिड़िया

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   उड़ती चिड़िया आसमान में दोनों पंख फैलाए। छोटी स…

इंतजार

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   अंधेरों को जैसे रोशनी का इंतजार है। नफरत को जैस…

हिंदी का गुणगान

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   हिंदी का मैं गान करता हूँ हिंदी का मैं सम्मान क…

मननशील

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   मैं जिसके ध्यान में हरदम मग्न रहता हूँ उसको सार…

सुंदरतम

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।     जल ने प्रलय मचा रखी है आसमाँ की मोहब्बत में द…

उधेड़बुन भीष्म की

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। काश! मैं चाहता तो नरसंहार रोक देता बाहुबली होकर…

दृष्टिकोण

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। नज़र अपनी अपनी डगर अपनी अपनी लेकिन फर्क है दृष्…

नज़र क्यों झूकी हुई है

मदन सुमित्रा सिंघल,   शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र। महफ़िल मे सब मस्त हजुरे आला क्यों त्रस्त?  नजरे…

बेरहम

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   सिफारिश-ऐ-दौर चला है अपनों की जगह कोई ओर चला है…

मिथ्या फड़फड़ाहट

डाँ.  राजीव डोगरा,  शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।   मिथ्या फड़फड़ाहट क्यों? अब टूट गया तुम तो कहते …

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