मदन सुमित्रा सिंघल, शिक्षा वाहिनी समाचार पत्र।
हे अग्रवंश के लाल तुझे, फिर तलवार उठानी होगी
पांच हजार वर्ष पूर्व की, संस्कृति फिर लानी होगी
भटक गया मानव जंगल मे, खोज तुझे उसे लाना होगा
दया धर्म एवं मानवता का, फिर से पाठ पढाना होगा
देख रहा हूँ खंडहरों को, सबकुछ नया बनाना होगा
अग्रोहा धाम से राजधानी भारत तुझे बसाना होगा
एक रूपया एक इंट की परंपरा पुनः चलानी होगी
महाराजा अग्रसेन की, कहानी तूम्हे सुनानी होगीपांच हजार वर्ष पूर्व की, संस्कृति फिर लानी होगी
भटक गया मानव जंगल मे, खोज तुझे उसे लाना होगा
दया धर्म एवं मानवता का, फिर से पाठ पढाना होगा
देख रहा हूँ खंडहरों को, सबकुछ नया बनाना होगा
अग्रोहा धाम से राजधानी भारत तुझे बसाना होगा
एक रूपया एक इंट की परंपरा पुनः चलानी होगी
आज मानव रक्त का प्यासा, प्यास हमें बुझानी होगी
गाँव गाँव मे ठंडे जल की, प्याऊ तुझे लगानी होगी
हिंदुस्तान की सीमा पर, प्रहरी बन जाना होगा
मातृभूमि पर तुझे अग्रोही, अपना खून बहाना होगा
जातपात उंचनीच का, भेद तुझे मिटाना होगा
गाँव गाँव मे अग्रसेन का संदेश तुझे पहुंचाना होगा
छह करोड़ अग्रवाल क्या, पाक परास्त मे कम होंगे
पहला कदम तुम्हारा होगा, करोड़ों कदम हमदम होंगे
घूट घूट रोज मरे भारती, हम अपनी शान दिखा देंगे
पूरे विश्व के नक्शे से, उसका नाम मिटा देंगे
भ्रष्टाचार बेइमानी से, हिंदुस्तान बचाना होगा
मदन सिंघल ऐ अग्रसेन, एक बार तुम्हे फिर आना
पत्रकार एवं साहित्यकार, प्रचारक अग्रोहा अग्रवाल अग्रसेन शिलचर असम
