गौरव सिंघल, देवबंद। श्री गीता प्रचार समिति सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्री गीता भवन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन कथा व्यास मनोज जी महाराज ने कहा कि गोपीगीत का पाठ करने से गोपीनाथ भगवान के दर्शन होते है। भक्ति में वह शक्ति है जो हृदय के रूदन को भी गीत बनाकर प्रस्तुत कर देती है। बृज से विदाई लेते समय भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी बाँसुरी राधारानी के चरणों मे रख दी। मुरलीधर ही योगेश्वर कहलाते हैं। ज्ञान का अंहकार प्राणी को कठोर बना देता है। गोपियों ने ऊद्धव जी को भक्ति और प्रेम का पाठ पढाकर उनके ज्ञान को सरस बना दिया। विद्ध्या में विनम्रता भी होनी चाहिए। भगवान को प्राप्त करने के लिए ही मनुष्य जीवन मिला है। भगवान भाग्य को संवार देते हैं। नारद जी से भगवान के गुणों की कथा सुनकर रूकमणी जी ने भगवान द्वारिकाधीश को पति रूप में प्राप्त किया। रूकमणी-मंगल की कथा सुनकर सभी के नेत्र सजल हो गये।
इस अवसर पर अपार आनन्द आया। आज की कथा के यजमान नीरज गोयल रहे। प्रसाद वितरण नितिन गर्ग की ओर से किया गया। पूूजन पंडित विनय प्रकाश तिवारी ने किया। संचालन सुधीर गर्ग ने किया। कथा में भारी संख्या में श्रोतागण पहुंचे।
