शि.वा.ब्यूरो, मेरठ। अपना दल (एस) के वरिष्ठ पदाधिकारी ने संविधान के माध्यम से समाज के हर वर्ग को उचित न्याय दिलाने वाले भारत रत्न बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर की 70वीं पुण्यतिथि पर उनकी प्रतिमा पर माला अर्पण किया।
अपना दल एस के नेता राजू रौंदिया ने कहा कि भारतीय संविधान के निर्माता और शोषितों के मसीहा थे। उन्होंने कहा कि 6 दिसंबर 1956 को उनका निधन हुआ था, जिसे उनके अनुयायी काला दिवस (ठसंबा क्ंल) मानते हैं, क्योंकि उन्होंने अपना पूरा जीवन सामाजिक न्याय और स्वाभिमान के लिए समर्पित किया और इसी दिन वे इस दुनिया से विदा हुए थे। उन्होंने कहा कि उनके व्यक्तित्व में स्मरण शक्ति की प्रखरता, बुद्धिमत्ता, ईमानदारी, सच्चाई, नियमितता, दृढ़ता, प्रचंड संग्रामी स्वभाव का अनूठा संगम था। उन्होंने कहा कि बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर एक मनीषी, योद्धा, नायक, विद्वान, दार्शनिक, वैज्ञानिक, समाजसेवी एवं धैर्यवान व्यक्तित्व के धनी थे। उन्होंने कहा कि बाबा साहेब ने अपना समस्त जीवन समग्र भारत की कल्याण कामना में उत्सर्ग कर दिया था। राजू रौंदिया ने बताया कि डॉ. भीमराव अंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू में सूबेदार रामजी शकपाल एवं भीमाबाई के घर हुआ था। उन्हांेने बताया डाॅ.अम्बेडकर अपने माता-पिता की की चैदहवीं संतान थे।
अपना दल एस के नेता पंकज वर्मा ने कहा कि सर्वसम्मति से डॉ. अंबेडकर को संविधान सभा की प्रारूपण समिति का अध्यक्ष चुना गया था। उन्होंने बताया कि 26 नवंबर 1949 को डॉ. अंबेडकर द्वारा रचित (315 अनुच्छेद का) संविधान पारित किया गया। उन्होंने बताया कि अंबेडकर मधुमेह से पीड़ित थे। 6 दिसंबर 1956 को उनकी मृत्यु दिल्ली में नींद के दौरान उनके घर में हो गई थी। उन्होंने बताया कि 1990 में उन्हें मरणोपरांत देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था, जो उनकी काबलियत का सही मूल्यांकन है। उन्होंने कहा कि डॉ. बीआर अंबेडकर का समस्त जीवन हाशिए पर रह रहे समुदायों, खासकर दलितों-वंचितों, महिलाओं और मजदूरों के उत्थान के लिए समर्पित रहा है। उन्होंने शिक्षा, रोजगार और राजनीति में उत्पीड़ितों को सशक्त बनाने के लिए आरक्षण सहित अनेक क्रांतिकारी प्रावधानों को प्रस्तावित किया।
इस अवसर पर बलीचंद पाल व दीपा लोधी आदि भी मुख्य रूप से मौजूद रहे।
