सात लोगों की जान लेने वाले सड़क हादसे की जांच के आदेश

गौरव सिंघल, सहारनपुर। जनपद के थाना गागलहेड़ी क्षेत्र में देहरादून-सहारनपुर हाइवे चमारीखेड़ा में अंडरपास पर जहां कल सुबह खनन से भरा डंपर बेकाबू होकर कार पर पलट गया था और जिसने सात जिंदगियां लील ली थी। गांव सोना सैय्यद माजरा निवासी महेंद्र सैनी के पांच सदस्यों पत्नी, बेटे, बेटी, दामाद और नाती और दो अन्य रिश्तेदारों की मौत हो गई थी। हादसे के बाद से ही महेंद्र सैनी अपनी सुधबुध खो बैठा है। उसने कभी नहीं सोचा होगा कि जिन अपनों को उसने थोड़ी देर पहले देखा था कि वह उन्हें आखिरी बार देख रहा है। महेंद्र सैनी ने थाना गागलहेड़ी में डंपर चालक दिनेश पुत्र बाबूराम निवासी थानाभवन शामली के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। रिपोर्ट में डंपर चालक पर आरोप लगाया गया कि वह डंपर को लापरवाही और तेजी के साथ चला रहा था। उसी कारण उसके परिवार के सात लोगों की मौत हुई है। ग्रामीणों ने डंपर चालक को घटना के तुरंत बाद पकड़कर पुलिस को सौंप दिया था। इस भीषण हादसे के दौरान मौके पर मौजूद लोगों को यह अफसोस जीवनभर रहेगा कि उनके भरसक प्रयासों के बावजूद वे डंपर के नीचे दबकर पिचक गई कार से सिसकती जिंदगियों को नहीं बचा सके। इलाके के लोगों ने इस एक्सप्रेस-वे निर्माण और असमतल अंडर बाईपास और सर्विस रोड़ की खामियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। पिछले कुछ दिनों के दौरान इस स्थान पर कई मौतें हो चुकी हैं। 18 नवंबर को यहां एक बाइक सवार मिस्त्री की ट्रैक्टर-ट्राली से कुचलकर मौत हो गई थी और इसी एक्सप्रेस-वे पर बिहारीगढ़ में फ्लाईओवर पर धसी हुई सड़क पर रूडकी निवासी स्कूटर सवार स्कूटर के उछलने से उसकी जान चली गई थी। हैरत की बात यह है कि देवबंद के घलौली में बने टोल-प्लाजा से लेकर थोड़ा आगे चलकर गागलहेड़ी से पहले टोल प्लाजा बना हुआ है और फिर थोड़ा आगे देहरादून की ओर चलने पर चमारीखेड़ा के पास टोल प्लाजा बना दिया गया है। सहारनपुर जनपद में कहीं भी कोई एक्सप्रेस-वे फ्लाईओवर ऐसा नहीं है जिसमें खामियां ना हो। नए कमिश्नर डा0 रूपेश कुमार ने इन अनियमितताओं के सामने आने पर राष्ट्रीय राजमार्ग के अफसरों से जवाब-तलब किया है।

कमिश्नर के निर्देश पर जिलाधिकारी मनीष बंसल ने इस भीषण हादसे की जांच अपर जिलाधिकारी प्रशासन संतोष बहादुर सिंह और पुलिस अधीक्षक यातायात शैलेंद्र श्रीवास्तव को सौंपी है। उनसे जल्द ही अपनी रिपोर्ट देने को कहा गया है। हर ओर से यह भी सवाल उठ रहे हैं कि दिन के वक्त खनन से लदे डंपरों को सड़कों पर क्यों चलने दिया जा रहा है। एनएचएआई पर ये सवाल खड़े हो रहे हैं जिसने निर्माण पूरा होने के बावजूद ओवरब्रिज नहीं खोले हैं। महेंद्र सैनी की बेटी जोली ने यहां गांव सोना सैय्यद माजरा में हादसे से 10 मिनट पहले ही कार बदली थी। जोली अपने पति शेखर और चार साल के बेटे अनिरूद्ध के साथ कल करीब सुबह आठ बजे सोना सैय्यद माजरा पहुंचे थे। वहां उनके भाई संदीप सैनी ने उनकी कार खड़ी करवा दी थी और वहां से वे और उन समेत सात लोग पांच सीटर कार में सवार हुए थे। यदि ये लोग अलग-अलग कारों से निकलते तो संभवतः स्थिति कुछ और हो सकती थी। जोली और शेखर और उनके बेटे अनिरूद्ध की इस हादसे में जान चली गई। उनका बड़ा बेटा अभिनंदन स्कूल में जाने के कारण बच तो गया लेकिन अनाथ हो गया। उसके सिर से एकाएक मां-बाप का साया छिन गया। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस भीषण हादसे से राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण, पुलिस और यातायात विभाग, खनन विभाग क्या कदम उठाते हैं।

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