शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में न्यायिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण योगदान होता है। न्यायिक व्यवस्था जितनी मजबूत होगी, सुशासन के लक्ष्य को प्राप्त करने में उतनी ही आसानी होगी। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इसके दृष्टिगत व्यवस्था को और सशक्त बनाने की दिशा में कार्य किया गया है।
उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में छात्रों को डिजिटल प्लेटफॉर्म, ई-कोर्ट प्रणाली, अल्टरनेटिव डिस्प्यूट रेजोल्यूशन और साइबर लॉ जैसे उभरते हुए क्षेत्रों में विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में आर्टिफिशियल इंटेलिजेन्स और डिजिटल एजुकेशन की उपयोगिता को बढ़ाने हेतु न्यायिक प्रशिक्षण और अनुसंधान संस्थान में नए हॉस्टल, स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स और आधुनिक प्रशिक्षण कक्षाओं का निर्माण कराया जा रहा है। न्यायिक अधिकारियों प्रॉसिक्यूटर्स, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों का निरन्तर प्रशिक्षण तथा स्किल डेवलपमेन्ट के लिए सरकार पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।
गौरतलब है कि आजादी के अमृतकाल के प्रथम वर्ष में न्याय की धारणा पर आधारित तीन नए कानून भारतीय न्याय संहिता-2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता-2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियत-2023 को लागू किया गया है। इन्हें सफलतापूर्वक लागू करने में पूरा देश तेजी के साथ आगे बढ़ा है। रूल ऑफ लॉ, बेंच और बार के बेहतरीन समन्वय से ही आगे बढ़ सकती है। बेंच सामान्य रूप से एक आम मानविकी के विवेक और बार संवेदना का प्रतीक है। विवेक और संवेदना में समन्वय होता है, तो रूल आफ लॉ की परिकल्पना को मूर्त रूप में साकार होते देखा जा सकता है। उत्तर प्रदेश में बेंच और बार के मध्य बेहतर समन्वय हेतु इन्टीग्रेटेड कोर्ट परिसर बनाए जा रहे हैं। इसके अंतर्गत 10 जनपदों के लिए एक साथ धनराशि जारी की गई है। प्रदेश में सरकार द्वारा एक ही कैम्पस में जिले स्तर के सभी प्रकार के कोर्ट तथा बार के लिए व्यवस्था, आवास तथा अन्य सुविधा उपलब्ध कराई गई है। साथ ही, जनपदीय न्यायालयों के डिस्ट्रिक्ट जजों के चेम्बर में ए०सी० लगाने की सहमति भी प्रदान की गई है।
बार और बेंच के बीच में बेहतर सम्बन्वय बनाने की दिशा में कार्य किया जा रहा है। डिजिटल डिपोजिशन राइटर की स्वीकृति दी गई है। प्रदेश सरकार के प्रयासों से आज इलाहाबाद उच्च न्यायालय सुदृढ़ तथा बेहतरीन इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिए जाना जा रहा है।
प्रदेश में महिलाओं तथा बच्चों सम्बन्धी अपराधों में प्रभावी पैरवी कर त्वरित न्याय दिलाने के लिए तीन सौ अस्सी से अधिक पॉक्सो तथा फास्ट ट्रैक कोर्ट के गठन की कार्यवाही की गई है। लोक अदालत, मीडिएशन, आर्बिट्रेशन के माध्यम से भी त्वरित न्याय उपलब्ध करवाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ाए हैं। इसमें विधिक सेवा प्राधिकरण व न्यायालयों की अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश में प्रत्येक रेंज स्तर पर विधि विज्ञान प्रयोगशालाएं स्थापित की गई, जिन्होंने कार्य करना प्रारम्भ कर दिया है।
राज्य स्तर पर यू०पी० स्टेट फॉरेंसिक इंस्टीट्यूट का गठन किया गया है, जिसके माध्यम से अच्छे और दक्ष युवाओं को प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इंटर ऑपरेबल क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को और सशक्त किया जा रहा है। इसके अन्तर्गत ई-कोर्ट, ई-पुलिसिंग, ई-प्रॉसीक्यूशन, ई-फॉरेंसिक और ई-प्रिजिन को इन्टीग्रेटेड प्लेटफार्म के साथ जोड़ने की कार्यवाही की जा रही है। इस प्रणाली से न्यायिक और प्रशासनिक प्रक्रिया में तेजी आएगी। न्यायायिक क्षेत्र में ये व्यवस्थाएं प्रत्येक व्यक्ति के लिए पारदर्शी और कुशल न्याय सुलभ कराने की दिशा में कारगर सिद्ध होंगी।