गौरव सिंघल, देवबंद। हिंद की चादर साहिब श्री गुरू तेग बहादुर जी महाराज व भाई मतीदास जी, भाई सतीदास जी व भाई दयाला जी के 350 वें शहीदी पर्व पर आयोजित कार्यक्रम में संगत को सम्बोधित करते हुए विश्व प्रसिद्ध योगाचार्य डा.दयाशंकर विद्यालंकार ने कहा कि गुरूओं ने सनातन संस्कृति के लिए जितनी कुर्बानियां दी उनका ऋण यह देश कभी चुका नहीं सकता। गुरूद्वारा साहिब में आयोजित कार्यक्रम में डा. विद्यालंकार ने कहा कि गुरू नानक देव जी से लेकर दसवें गुरू गोबिंद सिंह जी तक सभी ने भारत की संस्कृति, सभ्यता की रक्षा की व अपना त्याग दिया। तेग बहादुर जी ने जो कुर्बानी दी उसकी मिसाल पूरी दुनिया में नहीं है। उनके पुत्र गुरू गोबिंद सिंह जी ने अपने चार बेटों की कुर्बानी दी। सनातन मत के अनुनायी ऐसे महापुरूषों के ऋणी रहेंगे।
एडीजे विनित वासवानी ने गुरूओं के बताए मार्ग पर चलने का आह्वान किया। गुरूद्वारा कमेटी के सचिव गुरजोत सिंह सेठी ने कहा कि आज से 350 वर्ष पूर्व 1675 में औरंगजेब के आदेश पर इस्लाम कबूल न करने पर भाई मतीदास जी को जिंदा आरे से चीरकर, भाई सतीदास जी को रूई में लपेट आग लगाकर, भाई दयाला जी को देग में उबाल कर व गुरू तेग बहादुर जी का सिर धड़ से अलग कर शहीद किया गया। गुरूद्वारा कमेटी के प्रधान सेठ कुलदीप कुमार ने प्रभातफेरी व आयोजनों को सफल बनाने के लिए सभी का आभार प्रकट किया। इससे पूर्व अमृतसर से आए भाई गुरमीत सिंह व बीबा कुदरत कौर ने गुरवाणी गायन कर संगत को निहाल किया। गुरूद्वारा कमेटी की ओर से डा.दयाशंकर विद्यालंकार, ए.डी.जे. विनित वासवानी, ए.सी.जे.एम. परविंदर सिंह, बाबा अजीत सिंह, बाबा कपिल सिंह, आर.एस.एस. जिला प्रचारक अरविंद भारद्वाज, गजराज राणा व राजपाल सिंह को सिरोपा व स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया। भाई गुरदयाल सिंह ने अरदास की।


