श्री राम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में कार्यशाला आयोजित

शि.वा.ब्यूरो, मुजफ्फरनगर। श्री राम कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग में “इंजीनियरिंग से उद्यमिता तक का रोडमैप” विषय पर एक ज्ञानवर्धक एवं प्रेरणादायी कार्यशाला का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यशाला तकनीकी शिक्षा एवं स्टार्टअप संस्कृति से जुड़े विशेषज्ञों, जोकि यूथ यन्त्रा नामक कम्पनी से आये थे। यह कार्यशाला यूथ यन्त्रा के संस्थापक इं0 नमन गर्ग, सह-संस्थापक श्री हिमांशु गुप्ता एवं श्री रुद्रांश के मार्गदर्शन में आयोजित की गई, जिसका उद्देश्य इंजीनियरिंग के छात्रों को उद्यमिता की यात्रा, उसके चरणों और वास्तविक चुनौतियों से अवगत कराना था।कार्यक्रम में उभरते स्टार्टअप ट्रेंड, नवाचार आधारित मॉडल, तथा आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में युवा इंजीनियरों की भूमिका पर जोर दिया गया।

कार्यशाला का शुभारम्भ इंजीनियरिंग इकाई के निदेशक डॉ0 एसएन चौहान द्वारा दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। अपने उद्घाटन भाषण में संस्था प्रमुख ने कहा कि इंजीनियरिंग शिक्षा ने सदैव नए विचारों और नवाचारों को जन्म दिया है, परन्तु आज का समय उन विचारों को उद्योग एवं व्यवसाय के रूप में आकार देने का है। उन्होंने यह भी कहा कि भारत में तेजी से बढ़ती स्टार्टअप इकॉनमी और सरकारी योजनाएँ जैसे स्टार्टअप इंडिया, मेक इन इंडिया, और इनोवेशन फंडिंग स्कीम्स युवा इंजीनियरों को अपने विचारों को उद्यम में बदलने के लिए बेहतर अवसर प्रदान कर रही हैं। मुख्य अतिथि ने छात्रों को प्रेरित करते हुए कहा कि हर इंजीनियर के भीतर एक नवाचारकर्ता छिपा होता है। आवश्यकता उस सोच को दिशा देने और जोखिम उठाने की क्षमता विकसित करने की है।
कार्यशाला में आमंत्रित विशेषज्ञों ने विभिन्न महत्वपूर्ण विषयों को सरल, व्यावहारिक और प्रभावी उदाहरणों के साथ प्रस्तुत किया। विशेषज्ञों ने छात्रों को यह समझाया कि सबसे सफल स्टार्टअप वही होते हैं जो किसी वास्तविक समस्या की पहचान कर उसे नवीन तकनीकी समाधान प्रदान करते हैं। उन्होंने बताया कि इंजीनियरिंग शिक्षा छात्रों को क्रिटिकल थिंकिंग, एनालिटिक्स, और सॉल्यूशन-ओरिएंटेड एप्रोच प्रदान करती है, जो उद्यमिता की नींव है। इस सत्र में बताया गया कि किसी भी विचार को सफल उत्पाद में बदलने के लिए प्रोटोटाइपिंग, टेस्टिंग, और इटरशन कितने महत्वपूर्ण चरण हैं। विशेषज्ञों ने छात्रों को विभिन्न डिजिटल टूल्स और तकनीकों के बारे में भी जानकारी दी, जिससे वे अपने मॉडलों को तेजी से विकसित कर सकते हैं।
विशेषज्ञों ने प्रत्यक्ष उदाहरणों के साथ बताया कि एक स्टार्टअप को सफल बनाने के लिए केवल तकनीकी नवाचार ही पर्याप्त नहीं है, बल्कि मार्केट की समझ, कस्टमर सेगमेंटेशन, वैल्यू प्रपोजिशन, रेवेन्यू मॉडल और मार्केटिंग स्ट्रेटेजी की भी गहरी समझ आवश्यक है। उन्होंने छात्रों को बिजनेस मॉडल कैनवास भरने का अभ्यास कराने के साथ-साथ फंडिंग, इनक्यूबेशन और स्टार्टअप नीतियों से भी अवगत कराया। कार्यशाला का सबसे अधिक उत्साहजनक भाग फंडिंग पर आधारित सत्र रहा, जिसमें विशेषज्ञों ने एंजेल इन्वेस्टमेंट, वेंचर कैपिटल, सीड फंडिंग, इनक्यूबेशन सपोर्ट और सरकारी योजनाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने छात्रों को यह भी समझाया कि एक मजबूत पिच डेक कैसे तैयार किया जाता है और निवेशकों को अपने विचार से कैसे प्रभावित किया जाता है। छात्रों ने कार्यक्रम के विभिन्न चरणों में आयोजित इंटरैक्टिव सत्रों में तकनीकी, बाजार, फंडिंग और उद्यमिता से जुड़े कई प्रश्न विशेषज्ञों से पूछे। विशेषज्ञों ने अत्यंत सरल एवं व्यावहारिक राय देते हुए छात्रों का मार्गदर्शन किया और उन्हें नवाचार के लिए प्रोत्साहित किया। कई छात्रों ने अपने स्वयं के प्रोजेक्ट और स्टार्टअप आइडियाज भी साझा किए, जिन्हें विशेषज्ञों ने मूल्यवान सुझावों के साथ सराहा।
समापन सत्र में संस्थान के निदेशक डॉ0 एसएन चौहान ने कहा कि इस प्रकार की कार्यशालाएँ छात्रों को पारंपरिक रोजगार मार्ग से हटकर स्व-रोजगार, नवाचार और उद्यमिता के क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे अपने ज्ञान को केवल नौकरी तक सीमित न रखें, बल्कि समाज और राष्ट्र के लिए कुछ नया और उपयोगी बनाने की दिशा में आगे आएं। यह कार्यशाला इंजीनियरिंग छात्रों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई। उन्होंने इस कार्यशाला में छात्रों को तकनीकी कौशल के साथ-साथ व्यवसायिक सोच, नवाचार, प्रबंधन और नेतृत्व क्षमता से भी परिचित कराया। प्रतिभागी छात्रों में से कई छात्रों ने उत्साह के साथ कार्यशाला से लौटने पर भविष्य में उद्यम शुरू करने की इच्छा व्यक्त की। कार्यशाला के अंत में इंजीनियर कनुप्रिया ने सभी को धन्यवाद दिया। कार्यक्रम के सफल आयोजन में विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्षों का सहयोग का विशेष सहयोग रहा। कार्यशाला में इंजीनियर बिजेन्द्र कुमार, इंजीनियर अपेक्षा नायक, इंजीनियर नितिशा त्यागी, इंजीनियर आशीष सिंह, इंजीनियर इन्दु चौहान आदि शिक्षक उपस्थित रहे।

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