मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। सम्मेलन में मुख्य वक्ता डॉ. दीपांकर चक्रवर्ती ने नशीली दवाओं की लत के खिलाफ सामूहिक कार्रवाई का एक जोशीला आह्वान गूंजा, जहाँ वरिष्ठ अधिकारी, चिकित्सा विशेषज्ञ और पत्रकार मादक द्रव्यों के सेवन के बढ़ते खतरे और सामूहिक सामाजिक उत्तरदायित्व की आवश्यकता पर चर्चा करने के लिए एकत्र हुए। ज़िला नोडल अधिकारी ने डॉ. दीपांकर चक्रवर्ती ने नशीली दवाओं की लत को एक "मूक विध्वंसक" बताया जो स्वास्थ्य को नष्ट करता है, परिवारों को अस्थिर करता है और सामाजिक ताने-बाने को कमज़ोर करता है। उन्होंने बताया कि कैसे नशीले पदार्थ महत्वपूर्ण अंगों को नुकसान पहुँचाते हैं, मानसिक स्वास्थ्य को पंगु बनाते हैं और व्यक्ति व समुदाय दोनों पर अमिट छाप छोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि नशे को व्यक्तिगत पसंद या आदत मानकर नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता, बल्कि इसे एक गंभीर जन स्वास्थ्य आपातकाल के रूप में पहचाना जाना चाहिए जो समाज के मानव संसाधनों को छीन लेता है।
गुवाहाटी से आए एनजीओ रूट टू कनेक्ट के संस्थापक ऋषिकेश कश्यप ने कहा कि नशे के खिलाफ लड़ाई के लिए "समग्र समाज दृष्टिकोण" की आवश्यकता है, जिसमें जागरूकता, सामुदायिक भागीदारी और पुनर्वास एक साथ हों। उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि नागरिक समाज समूहों को जमीनी स्तर पर काम करके सरकारी प्रयासों में सहयोग करना चाहिए, और उन्होंने संकल्प लिया कि उनका संगठन युवाओं को नशे के चंगुल से बचाने के उद्देश्य से की जाने वाली पहलों का समर्थन करता रहेगा। चर्चा में उपस्थित पत्रकारों ने नशे के खिलाफ लड़ाई में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका पर ज़ोर दिया।
अतिथि वक्ता और प्रसिद्ध पत्रकार अनिरुद्ध लस्कर ने कहा कि बराक घाटी में मीडिया लंबे समय से अग्रिम पंक्ति की ताकत के रूप में काम कर रहा है, जो नशीली दवाओं की बरामदगी, तस्करी के नेटवर्क और तस्करों की गिरफ्तारी पर अथक रिपोर्टिंग करता रहा है, साथ ही नशे के खतरों पर जनमत को आकार भी देता रहा है। उन्होंने कहा कि जब समाज खतरे में हो, तो मीडिया तटस्थ नहीं रह सकता। उन्होंने कहा कि हर जागरूकता अभियान या किसी भी गिरफ्तारी पर रिपोर्ट युवाओं की जान बचाने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को यह सिखाया जाना चाहिए कि वे अपने बच्चों को नशे के लालच से कैसे बचाएँ।
वरिष्ठ पत्रकार राहुल देव ने कहा कि नशे के व्यापार की रिपोर्टिंग करते समय पत्रकार अक्सर अपनी सुरक्षा को जोखिम में डाल देते हैं। उन्होंने सरकारी और निजी संगठनों, दोनों से मीडिया द्वारा संचालित जागरूकता अभियानों के लिए अपने समर्थन को मज़बूत करने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि कोई भी एजेंसी अकेले नशे की समस्या को नहीं हरा सकती, और पत्रकारों, प्रशासकों, कानून प्रवर्तन एजेंसियों और नागरिक समाज को आपूर्ति और माँग, दोनों को पूरा करने के लिए मिलकर काम करना होगा।
मनोवैज्ञानिक-सह-नशा पुनर्वास परामर्शदाता और सामाजिक कार्यकर्ता मिथुन रॉय ने कहा कि नशा मुक्त समाज का निर्माण केवल पारिवारिक सतर्कता, स्वस्थ सामाजिक गतिविधियों, युवाओं के लिए वैकल्पिक गतिविधियों और आपूर्ति श्रृंखलाओं पर समन्वित कार्रवाई के माध्यम से ही किया जा सकता है। बराक घाटी नशा मुक्ति केंद्र संघ के सचिव दीप भट्टाचार्य ने समुदायों से इस बुराई से निपटने के लिए साहसपूर्वक आगे आने का आग्रह किया और बताया कि सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन पर नशे के हानिकारक प्रभाव चिंताजनक रूप से बढ़ रहे हैं। इससे पहले जिला नोडल अधिकारी डॉ. दीपांकर चक्रवर्ती, एनजीओ रूट टू कनेक्ट के संस्थापक ऋषिकेश कश्यप, मनोवैज्ञानिक-सह-पुनर्वास परामर्शदाता मिथुन रॉय और वरिष्ठ पत्रकार अनिरुद्ध लस्कर और राहुल देव को इस अवसर पर सम्मानित किया गया। सत्र की अध्यक्षता करते हुए सहायक आयुक्त-सह प्रभारी उप निदेशक सूचना एवं जनसंपर्क और जिला समाज कल्याण अधिकारी दीपा दास ने एक भावुक अपील की।
