बीडीएफ ने मुख्यमंत्री से मांगो का क्रियान्वयन करने का आश्वासन मांगा

मदन सुमित्रा सिंघल, शिलचर। नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मूर्ति का अनावरण सहित कई कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए आगामी 24 अगस्त को मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत बिस्व शर्मा बराक घाटी आ रहे हैं। उनके इस दौरे का स्वागत करते हुए बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट ने बराक और राज्य के बंगाली समुदाय की विभिन्न समस्याओं के समाधान के लिए कुछ प्रमुख मांगें पेश की हैं। मीडिया से बात करते हुए बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट के मुख्य संयोजक प्रदीप दत्त राय ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस देशवासियों और विशेष रूप से प्रत्येक बंगाली के लिए अत्यंत सम्माननीय व्यक्तित्व हैं। मुख्यमंत्री खुद बराक में नेताजी की मूर्ति का अनावरण करेंगे, यह पूरे बराक क्षेत्र और देश के लिए गर्व की बात है। इस पहल का बीडीएफ स्वागत करता है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी को देश का पहला प्रधानमंत्री बताया था, इसलिए बीडीएफ की मांग है कि भारत के किसी एक करेंसी नोट पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की तस्वीर शामिल की जाए। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव केवल मुख्यमंत्री के समर्थन से ही संसद में उठाया जा सकता है और इसे लागू किया जा सकता है। इसलिए उन्होंने इस विषय में मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए मांग रखी है।

प्रदीप दत्त राय ने कहा कि बराक घाटी के भाषा आंदोलन को 65 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन अब तक 19 मई के भाषा शहीदों को सरकारी मान्यता नहीं मिली है। ‘भाषा शहीद स्टेशन’ नामकरण की एक मामूली सी मांग, जिसे केंद्र सरकार और रेल मंत्रालय द्वारा हरी झंडी दिखाए जाने के बावजूद, पिछले आठ वर्षों से फाइल दिसपुर में अटकी हुई है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्यमंत्री 24 जुलाई को इस संबंध में घोषणा करते हैं, तो बराक और पूरे राज्य के बंगाली लोग इस निर्णय का स्वागत करेंगे। नेताजी की मूर्ति के अनावरण के अवसर पर ‘भाषा शहीद स्टेशन’ नामकरण की घोषणा करने की उन्होंने मुख्यमंत्री से मांग की है। उन्होंने बराक घाटी में बढ़ती बेरोजगारी पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि पंचग्राम पेपर मिल की ज़मीन पर तुरंत औद्योगिक इकाइयों की स्थापना की जाए और बराक घाटी में तृतीय और चतुर्थ श्रेणी की सरकारी नौकरियों को स्थानीय लोगों के लिए आरक्षित किया जाए।

बराक डेमोक्रेटिक फ्रंट के मीडिया सेल के संयोजक जयदीप भट्टाचार्य ने कहा कि हर साल मानसून के दौरान तीन महीने तक बराक घाटी रेल और सड़क मार्ग से बाकी भारत से कटी रहती है। बाहर जाने का एकमात्र विकल्प हवाई यात्रा बचता है, जिसकी कीमत आजकल आसमान छू रही है, जिससे आम लोग बेहद परेशान हैं। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने दूरदराज़ क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए उड़ान योजना की घोषणा की है। बराक जैसे सीमांत क्षेत्र में इस योजना का क्रियान्वयन अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने मुख्यमंत्री का ध्यान आकर्षित करते हुए मांग की कि उड़ान योजना के तहत सिलचर-गुवाहाटी और सिलचर-कोलकाता के बीच हवाई सेवाएं तुरंत शुरू की जाएं। उन्होंने चेतावनी दी कि जब तक एनआरसी की लंबित प्रक्रिया पूरी नहीं होती, तब तक अगर नागरिकता की दोबारा से कोई नई जांच शुरू की जाती है, तो बराक घाटी की जनता किसी भी परिस्थिति में उसे स्वीकार नहीं करेगी।

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